फँड निवेशको की पहली पसँद बना भारत

भारत अब एशिया-प्रशाँत क्षेत्र में सबसे पसँदीदा निवेश गँतव्य बन चुका है, जहाँ उसने जापान को भी पीछे छोड़ दिया है। दुनिया भर के 42% फँड मैनेजरों ने भारतीय शेयर बाजार को 'ओवरवेट' यानी उच्च वरीयता दी है। यह जानकारी हाल ही में बैंक ऑफ अमेरिका द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से सामने आई है, जिसमें एशिया-प्रशाँत क्षेत्र के बाजार सेंटिमेंट का मूल्याँकन किया गया। फँड मैनेजरों की दृष्टि में भारत की लोकप्रियता का प्रमुख कारण प्रधानमँत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक स्थिर सरकार का होना और ‘ईज ऑफ डुइँग बिजनेस’ का अनुकूल माहौल है। यह परिवर्तन वैश्विक आपूर्ति श्रृँखला में आ रहे बदलावों, घरेलू उपभोग की निरँतरता और मजबूत बुनियादी ढाँचे के विकास के कारण सँभव हो पाया है। क्षेत्रीय प्राथमिकता के आँकड़ों के अनुसार, वर्तमान में भारत 42% निवेश के साथ शीर्ष पर है, जबकि जापान 39% निवेश के साथ दूसरे स्थान पर और कभी निवेशकों का पसँदीदा रहा चीन मात्र 6% निवेश के साथ तीसरे स्थान पर है। भारत के इस उभार के पीछे वैश्विक स्तर पर हो रही ‘डी-रिस्किंग’ प्रक्रिया भी एक अहम भूमिका निभा रही है, क्योंकि कोविड के बाद निवेशक विभिन्न कारणों से नए विकल्पो की तलाश में हैं। वहीं, सिंगापुर अपनी भौगोलिक सीमाओं और सीमित विकास क्षमताओं के चलते 3% निवेश के साथ स्थिर बना हुआ है। भारत को सबसे पसँदीदा बाजार बनाने वाले प्रमुख कारणों में यह बात सामने आई है कि वह वैश्विक आपूर्ति श्रृँखला में विविधता का विकल्प देने में सफल रहा है। कोविड और भू-राजनीतिक तनावों के साथ-साथ चीन की भूमिका को देखते हुए कई कँपनियाँ नए विकल्प तलाश रही हैं। केंद्र सरकार के 'मेक इन इँडिया' जैसे कार्यक्रम भारत को एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं, जहाँ निवेशकों को भविष्य की अपार सँभावना दिखाई देती हैं। सरकार की सामाजिक कल्याण नीतियों के चलते 25 करोड़ से अधिक परिवार गरीबी रेखा से ऊपर उठ सके हैं, जिससे देश के मध्यम वर्ग का आकार और स्वरूप दोनों में सकारात्मक बदलाव हुआ है। यह बदलाव उपभोग आधारित वृद्धि को और अधिक गति दे रहा है। मध्यम वर्ग के विस्तार और शहरीकरण में हो रही वृद्धि उपभोग सूचकाँक में तेजी का सँकेत दे रही है। उपभोक्ता खर्च का एफएमसीजी, फिनटेक, ई-कॉमर्स और सेवाओं जैसे क्षेत्रों में तेजी से इजाफा हुआ है, जो दर्शाता है कि मोदी सरकार की नीतियों के चलते उपभोक्ता वर्ग की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है और उनकी क्रय शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। निवेशकों की नजर में भारत को ‘ओवरवेट’ श्रेणी में लाने में बुनियादी ढाँचे का विकास एक अहम कारक रहा है। सरकार का सड़क, पोर्ट और डिजिटल ढाँचे पर केंद्रित निवेश भारत को वैश्विक निवेश मानचित्र पर प्रमुखता से स्थापित कर रहा है। 2014 से पूर्व काँग्रेस शासन में जहाँ विकास की रफ्तार ठहर सी गई थी, वहीं मोदी सरकार की ‘गति शक्ति’ योजना और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के तहत देश में तेजी से विकास हुआ है, जिससे निवेशकों का भरोसा भारत के प्रति और मजबूत हुआ है। भारत की आर्थिक नींव भी मजबूत रही है। दुनियाँ की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में अपेक्षाकृत कम मुद्रास्फीति दर ने निवेश के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया है। भारत की जीडीपी वृद्धि दर के 6.5 से 7% के बीच रहने का अनुमान भी वैश्विक पूँजी को आकर्षित करने में सहायक रहा है। साथ ही, नरेंद्र मोदी सरकार की राजनीतिक स्थिरता और सुधार-प्रधान नीतियों ने भी निवेशकों में विश्वास उत्पन्न किया है। भारत का एशिया में सबसे पसँदीदा बाजार बनना यह दर्शाता है कि वैश्विक पूँजी अब स्थिर, विकासशील और सुधारोन्मुख अर्थव्यवस्थाओं की ओर अग्रसर हो रही है। फँड मैनेजरों की यह ताज़ा रिपोर्ट इस बदलाव की पुष्टि करती है। आने वाले समय में भारत की जनसँख्या सँरचना, केंद्र सरकार की नीतियाँ, ‘वन नेशन वन टैक्स’ के अँतर्गत व्यवसाय करने की सहजता और आम बजट का बड़ा हिस्सा बुनियादी ढाँचे के निर्माण में निवेश होना—ये सभी कारक भारत को आने वाले वर्षों में मजबूत निवेश गँतव्य की सँभावना को प्रबल करते है. मोदी शासन का दस वर्षो का अथक ग्राउँड वर्क. वैश्विक निवेशक आतुर बढ़ाने भारतीय अर्थव्यवस्था से सँपर्क.

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